Blogspot - laharein.blogspot.com - लहरें

Latest News:

सताए हुए लोगों से पूछो रास्ता करार का 19 Aug 2013 | 08:57 pm

लिखना आत्महत्या जैसा कुछ था. टेबल के किनारे बेहद तीखे थे. कवि इतना बेसुध था कि उसे ध्यान नहीं रहता, दर्द महसूस नहीं होता. बहुत मुश्किल से जोड़े गए पैसों से एक नया टेबल ख़रीदा था. जल्दबाज मजदूरों ने टे...

तेज़ चलाओ...और तेज़...और तेज़ 12 Aug 2013 | 12:33 am

जानेमन, हम सोच रहे हैं कि आपका नाम 'जीशान' रख दें. बाईक पर वो दोनों बहुत तेज़ उड़े जा रहे थे. सामने खुली सड़क थी और पीछा करते घने काले बादल. देखना ये थी कि बैंगलोर पहले कौन पहुँचता है...वो दोनों या बा...

कटी उँगलियों पर गंगा मिट्टी का लेप 26 Jul 2013 | 08:11 pm

जैसे माँ चावल में से बीनती थी कंकड़, वैसे ही कुछ आज तुम्हारे पूरे होने में खुद को खोजा है. कहीं जो जरा सा चुभने जैसा ही कुछ बाकी हो मेरा. --- तुम दिकिया जाओ अंधार में खाना खाते हुए, बगल में पीढ़ा पर ब...

शिप ऑफ़ थीसियस 23 Jul 2013 | 11:17 am

मुझे फिल्म ख़त्म होने के बाद की कास्टिंग के सारे टाइटल्स तक रुकना अच्छा लगता है. कल की फिल्म 'शिप ऑफ़ थीसियस' देखने के बाद भी सारे टाइटल्स तक रुकी रही. हॉल से बाहर आते हुए मन ऐसा भरा भरा सा था कि कुछ ...

स्टॉप आई लव यू स्टॉप 12 Jul 2013 | 07:59 pm

i stop love stop you stop | i love you stop दिल का टेलीग्राम कुछ ऐसे ही जाता है तुम्हें. समझ नहीं आता है कि क्या कहना चाह रही हूँ. दो फॉर्मेट सामने रखे हुए हैं. अख़बार में पढ़ने को आया कि भारत में आख...

रुखसतनामे पर तुम्हारे दस्तखत पेंडिंग हैं 3 Jul 2013 | 08:01 pm

बारिश बहुत गहरे ज़ख्म देती है. बताओ जानां, तुम्हारे शहर में भी ऐसी ही बेरहम होती हैं बारिशें क्या? कहाँ से लाते हो टिंचर आयोडीन...या कि रहने देते हो ज़ख्मों को खुली, भीगी हवा में...मन का कोई कोना सूखा...

हूमुस रेसिपी विद थोड़ी गप्पें 18 Jun 2013 | 03:35 pm

इस वाली पोस्ट में मेरी खूब सारी तारीफें होंगी...वो भी मेरी खुद के लफ़्ज़ों में :) जो लोग ऐसी किसी बात का समर्थन नहीं करते हैं ये वाली पोस्ट नहीं पढ़ें :) --- आज मैंने हूमुस बनाया. मुझे समझ नहीं आता है...

Happy Birthday Gorgeous :) 10 Jun 2013 | 05:57 pm

तीस की उम्र में बहुत सी चीज़ों में समझदारी आ जाती है. ये दुनिया वैसी नहीं है जैसी सोचा करती थी...चीज़ें उतनी सिंपल नहीं हैं और रिश्तों में बहुत सी पेचीदगी है...इश्क अभी भी समझ से बाहर है. हम जैसा अपना...

आदमखोर इमारतों में बंद रूहों को आजाद कर दो 27 May 2013 | 01:37 pm

'तुम ताजिंदगी मेरे रहोगे!' लड़की बेतहाशा चीख रही थी. पटना के उस गुमशुदा वार्ड की दीवारों से छन कर आ रही थी वो चीख. आसमान में बादल छाये थे, जुलाई के बाद का मौसम था और तीन दिन लगातार पागलों की तरह बरस क...

मकबरे के दोनों बुत एक दूसरे का चेहरा देखते सोये थे 16 May 2013 | 09:54 am

वो बहुत जोर से इस बात पर चौंका था कि मैंने कभी कोठा नहीं देखा था...किसी तरह का चकला, कोई बाईजी का घर नहीं. मैं इस बात पर परेशान हुयी थी कि उसने क्यों सोचा कि मैंने कोठा देखा होगा...शायद उसे मेरी उत्सु...

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